मात्र 15 मिनट..........मीडिया को रोका ........विकास का खेल ख़त्म ! उज्जैन से एनकाउंटर तक का सफर
समाचार साभार आज तक
- 12 घंटे तक कैमरे की जद में था STF का काफिला
- एनकाउंटर से ठीक 15 मिनट पहले कानपुर में बैरिकेडिंग लगाकर मीडिया को रोक दिया गया
एसटीएफ के काफिले के पीछे थी आजतक की टीम
चार गाड़ियों में सवार यूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे को अपने कब्जे में लेने के बाद कानपुर के लिए रवाना होती हैं। आजतक की टीम एसटीएफ के काफिले के पीछे-पीछे थी। इस काफिले को करीब 300 किमी का सफर तय कर कानपुर पहुंचना था। बीच में कई जगह सड़कें ठीक नहीं थीं. लिहाजा, कानपुर तक का सफर दस घंटे में पूरा होना था। आजतक की टीम उज्जैन से कानपुर के रास्ते में हर उस खास जगह पर मौजूद थी, जहां से इस काफिले को गुजरना था। पूरी रात एसटीएफ का काफिला आगे बढ़ता रहा. रात बीती सुबह हो गई। अब तक सब कुछ ठीक था।
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सुबह करीब साढ़े छह बजे एसटीएफ का काफिला कानपुर टोल प्लाजा पर पहुंचता है। मंजिल अब बेहद करीब थी। कानपुर टोल प्लाजा पर आजतक संवाददाता अरविंद ओझा पहले से मौजूद थे। इसी काफिले के इंतजार में. अब यहां से अरविंद ओझा एसटीएफ के काफिले का पीछा करते हैं। कानपुर टोल प्लाजा पर पुलिस की दो और गाड़ियां पहले से मौजूद थी। विकास दुबे के साथ चल रहे चार गाड़ियों के काफिले में अब ये दोनों गाड़ियां भी शामिल हो चुकी थीं। इन दो गाड़ियों में से एक गाड़ी काफिले के आगे और एक पीछे लग गई। इन दोनों गाड़ियों का मकसद बस एक था। काफिले के बीच में मीडिया की कोई गाड़ी ना घुस पाए।
आजतक संवाददाता अरविंद ओझा काफिले का पीछा करना नहीं छोड़ रहे थे। हालांकि इस दौरान उनकी गाड़ी को खतरनाक तरीके से ओवरटेक किया जाता रहा. एसटीएफ के काफिले में शामिल पुलिसवालों को ये पता था कि आजतक की टीम उनका पीछा कर रही है। लिहाजा, कानपुर टोल नाके के आगे एक जगह पर आजतक की टीम को फिर से रोकने की कोशिश की गई, लेकिन आजतक की टीम किसी तरह वहां से आगे निकल गई। मगर थोड़ी ही दूर आगे पुलिस की बैरिकेडिंग लगी थी। उस बैरिकेडिंग पर चेकिंग के नाम पर आजतक की गाड़ी को रोक दिया गया. उस वक्त सुबह के 6.55 हुए थे।
करीब दस मिनट की बहस के बाद आजतक की गाड़ी को छोड़ दिया गया। संवाददाता अरविंद ओझा अपनी टीम के साथ फिर से एसटीएफ के काफिले की तरफ तेजी से भागते हैं। मगर कुछ दूर जाने के बाद ही अचानक अरविंद ओझा की नजर पड़ती है कि सड़क किनारे एसटीएफ के काफिले में शामिल एक गाड़ी पलटी हुई है. मौके पर मौजूद पुलिसवालों से जब पूछा जाता है तो वो कहते हैं कि गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है।
इसके बाद पता चलता है कि जो गाड़ी पलटी है विकास दुबे उसी गाड़ी में सवार था। फिर कुछ मिनट बाद एक्सीडेंट की असली कहानी सामने आती है। बताया जाता है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिसवालों की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश कर रहा था और इसी कोशिश में वो मारा गया।
बस, कानपुर में दाखिल होने के बाद यही वो आखिरी 15 मिनट थे, जब एसटीएफ का काफिला आंखों से ओझल हुआ था। बल्कि यूं कहें कि जानबूझ कर आजतक की टीम को बैरिकेडिंग करके रोक दिया गया था और आखिरी के इन्हीं 15 मिनट में विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया।
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