कोरोना ने पकड़ी रफ़्तार ,भारत में संक्रमित हुए 10 लाख पार
- देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया, पहले 5 लाख केस 148 दिन में हुए, अगले 5 लाख 20 दिन में ही
- लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पलायन से, स्पेशल ट्रेनों से और शराब की दुकानें खोलने से भी बढ़ी केस की रफ्तार
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामलों की स्टडी करने के लिए ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर बनाया है। इस ट्रैकर में 17 अलग-अलग पहलुओं के आधार पर रेटिंग की गई थी। इसके मुताबिक, भारत में जितना सख्त लॉकडाउन लागू किया था, उतनी सख्ती दुनिया के किसी देश में नहीं दिखाई गई।
देश में कोरोना मरीजों की संख्या का आंकड़ा 10 लाख के ऊपर पहुंच गया है। सिर्फ 5 महीने और 16 दिन में भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 1 से 10 लाख तक पहुंच गई। पहला मामला 30 जनवरी को आया था। कोरोनावायरस को रोकने के लिए देश में दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन भी लगा था।
साभार दैनिक भास्कर
लॉकडाउन में ढील मिली, तो कोरोना की रफ्तार भी बढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी, तब उनका फोकस 'जान है, तो जहान है' पर था। उसके बाद जब 14 अप्रैल को दूसरे लॉकडाउन की घोषणा करने आए, तो फोकस 'जान भी, जहान भी' पर चला गया। उसके बाद से ही देश में लॉकडाउन तो लगा, लेकिन ढील भी मिलती रही। इसका नतीजा ये हुआ कि देश में कोरोना के मामलों की रफ्तार भी तेजी से बढ़ने लगी।
लॉकडाउन से पहले रिकवरी रेट 7% से भी कम था, अब 63% के पार
अच्छी बात ये भी रही कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ती रही। लॉकडाउन से पहले तक कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट सिर्फ 6.86% था, जो अब 63% के पार पहुंच गया है।
- लॉकडाउन-1 में रिकवरी रेट बढ़कर 11%
- लॉकडाउन-2 में 27%
- लॉकडाउन-3 में 38%
- लॉकडाउन-4 में मरीजों का रिकवरी रेट 48%
- अनलॉक-1 में तो रिकवरी रेट करीब 60%
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