अफसरशाही : हिदायत या निर्देश, कैसे होगी कोरोना पर रिपोर्टिंग?
जौनपुर - कोरोना जैसी महामारी से जहां इस समय पूरा देश एकजुटता के साथ लड़ रहा है तो वहीं चिकित्सा विभाग, पुलिस विभाग व लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार भी अपनी जान की परवाह किए बगैर इस महामारी से लड़ रहे हैं। जैसा की आप जानते हैं कि कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन किस तरह लड़ रहा है, जिले में क्या हो रहा है और गरीबों, मरीजों, असहायों को इस लॉक डाउन में कोई असुविधा तो नहीं है इन सभी चीजों को जनता तक पहुंचाने का काम पत्रकार ही करता है।
ऐसे में किसी अफसर द्वारा यह कहा जाना कि तुम पत्रकार हो तो क्या तुम्हे कोरोना नहीं होगा? यह शब्द कहना हिदायत समझी जाये या निर्देश यह तो समझ से परे है। फिलहाल सोमवार की सुबह शहर कोतवाली अन्र्तगत नगर पालिका परिषद के पास नगर मजिस्ट्रेट सहदेव मिश्र पूरे लाव लश्कर के साथ गस्त पर थे। इसी दौरान एक पत्रकार का गुजरना हुआ तो साहब ने रोककर कहा कि आप कहां जा रहे हो, इस पर पत्रकार ने उत्तर दिया कि जिला चिकित्सालय, जिस पर नगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि तुम पत्रकार हो तो क्या आपको कोरोना नहीं होगा?
इस पर सवाल उठना तो लाजिमी है कि साहब पत्रकार को हिदायत दे रहे थे या निर्देश?
रही बात हिदायत की तो पत्रकार स्वमं से जानता है कि अपनी जान को बचाते हुए किस तरह रिपोर्टिंग करनी है हां अगर यह निर्देश है तो इसे क्या समझा जाये कि पत्रकार रिपोर्टिंग न करें?
क्या नगर मजिस्ट्रेट नहीं चाहते कि कोरोना पर निष्पक्ष रिपोर्टिंग हो?
इस महामारी से गरीबों को खाने को मिल रहा है या नहीं, दलित, मजदूरों को क्या परेशानी हो रही है क्या इन सभी सच्चाई को सामने आने नहीं देना चाहती अफसरशाही ये तो साहब ही जाने।
फिलहाल नगर मजिस्ट्रेट को ये समझना होगा कि कोरोना से इस जंग में पत्रकारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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