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जितना बड़ा अस्पताल उतनी निम्न चिकित्सा सेवा, जिले के सांसद विधायक भी फ्लॉप

जौनपुर-वर्तमान समय मे चिकित्सकों को दूसरा भगवान कहा जाने वाला शब्द भी अब शर्मिन्दगी महसूस करने लगी है।जिले का प्रसिद्ध जिला अस्पताल के चिकित्सक व अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना बयान व कार्यवाही लोगो के लिए शामत बन चुकी है।


गत एक सप्ताह से जिला अस्पताल में कुत्ता काटने पर लगाई जाने वाली सुई एंटी रैबीज खत्म है।जिले के सीएचसी व पीएसी के मरीज दूर दराज से किराया लगाकर ताबड़तोड़ जिला अस्पताल पर पहुंच रहे लेकिन यहां के चिकित्सक उनकी तकलीफ समझे बिना ही एक शब्द में "सुई नही(खत्म हो गयी है) है" कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं इतना ही नही जिला अस्पताल के चिकित्सक बाकायदा मरीजो को राय भी दे रहें हैं कि, बाहर के मेडिकल स्टोर से सुई खरीद कर लाये तब लगाया जाएगा।मेडिकल स्टोर पर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगभग तीन से साढ़े तीन सौ रुपये में  मिल रही है।



इस मामले को लेकर जब जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ अनिल कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, गत 04 दिनों से अस्पताल में कुत्ता काटने पर लगाई जाने वाली सुई खत्म है जिसके लिए जिलास्तर से डिमांड की कार्यवाही हो चुकी है।


अब आपको बता दें कि, इस अस्पताल में किसी भी कार्य के लिए मात्र कोरम पूर्ति की जाती है जबकि बाद में प्रोसेस कहा तक पहुंचा इसकी जानकारी रखने वाला इस अस्पताल में कोई नही है।कहने के लिए तो यहां पर सत्ताधारी भाजपा के विधायक गिरीश यादव भी हैं जिनको कैबिनेट में भी स्थान मिला है लेकिन ये विधायक जनता में जगह बनाने से दूर ही हैं।इतना ही नही अगर कोई कार्यक्रम ना हो तो विपक्षी दल के वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव तो आम जनता से मिलने नही आते इसके विपरीत मीडिया के सामने आकर जनता के हित का बात करते हैं।


गत वर्षों इसी अस्पताल में एंटी रैबीज ना उपलब्ध होने पर  कुत्ते का शिकार आज़मगढ़ निवासी नन्हकू सरोज की मौत हो गई थी।गरीबी के चलते नन्हकू सरोज बाहर से कुत्ता काटने पर लगने वाली सुई नही खरीद सके थे और एक सप्ताह के अंदर उनकी मौत हो गयी थी जिसके लिए गरीब किसी को जिम्मेदार नही ठहरा सकते।बस इसी तरह तमाम मरीजो की भी यही हालत हो चुकी है लेकिन वो किसी को जिम्मेदार नही ठहरा सकते।


वर्तमान समय मे जिला अस्पताल में कोई चिकित्सक नही है जो मरीजो से साथ असला व्यवहार करते हैं।सभी चिकित्सक, मरीजों को बलि का बकरा बनाकर काम करने लगे हैं जिसकी वजह से अस्पताल की छवि धूमिल ही नही अपितु धूल ने मिलती जा रही है।हालात तो ऐसे बनते जा रहे कि, अब जिला अस्पताल में इलाज कराना मतलब मौत को दावत देने के बराबर होता जा रहा है। ओपीडी चैंबर में डॉक्टर कम बल्कि उनके चुनिंदा दलाल ज्यादा हो गए है जिसके लिए यहां के वरिष्ठ- वरिष्ठ चिकित्सक, डीएम व एसपी से शिकायत नही करते।


चिकित्सको के चुनिंदो को छोड़ दिया जाय तो उन्ही मरीजो को यहां के चिकित्सक द्वारा लिखी दवाएं काम आती है जिनके एक रुपये की पर्ची पर हज़ारो की दवा लिखी होती है। इस मौके पर सोनू कुमार "मेजर", प्रांजल राय, राम अचल राय "मंत्री", अजय कुमार राय, फिरोज सहित दूर दराज से आये तमाम मरीज उपस्थित रहें।


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