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अंग्रेजो के समय के तहसील भवन की दीवारें हुई जर्जर

जौनपुर - शाहगंज तहसीलदार न्यायालय, रजिस्ट्रार कार्यालय सहित कई भवन हुए जर्जर कभी भी दे सकते है बड़ी घटना को अंजाम सकती है।



नब्बे के दशक में आई प्रसिद्ध फ़िल्म शोले का एक एक मशहूर डायलाग हम अंग्रेजो के ज़माने के जेलर है जो आज भी लोगो के जेहन में है।यही डायलाग यहां स्थानीय तहसील भवन पर एकदम फिट बैठता है।तहसील भवन के जर्जर भवन के दरों दीवार से आवाज़ आती है की हम अंग्रेजो के ज़माने के तहसील भवन हैं।जी हाँ यही हाल स्थानीय तहसील भवन का जो अपनी दुर्दशा के आंसू बहा रहा है।


अंग्रेजो के दौर से चला आ रहा इस भवन की दीवारों और छतों पर जगह जगह दीवारें चटक कर गिर रही हैं। जिससे कोर्ट में बैठने वाले बैठने वाले अधिकारियों,कर्मचारियों के साथ साथ वादकारियों को भी भय बना रहता है।तहसील अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजदेव यादव ने बताया की तहसील का पुराना भवन अंग्रेजी शासन काल के सन 1903 में बना था तब से इस भवन में न्यायालय तहसीलदार,न्यायालय नायब तहसीलदार कस्बा,एवं रजिस्ट्री कार्यालय संचालित हो रही है।यह भवन काफी जर्जर हो चुका है 


उन्होंने बताया की यहां तक कुछ हद तक ठीक है आज़ादी के बाद बने न्यायालय नायब तहसीलदार लपरी,न्यायालय तहसीलदार(न्यायायिक)शाहगंज एवं न्यायालय नायब तहसीलदार सरपतहां की हालत और भी दयनीय है।इन भवनों में दीवारें औऱ छतें जगह जगह टूट चुकी है बरसातों में पानी भी टपकता है कभी कभी तो जरूरी कागजात भी भीग कर खराब हो जाते है।राजदेव यादव ने आगे बताया की कुछ माह पूर्व परदेस सरकार के मंत्री ग्रीशचंद यादव की तहसील गेट पर स्थित सार्वजनिक शौचालय के उद्घाटन के दौरान तहसील भवन के जर्जर भवनों के बारे में अवगत कराया गया था।


उन्होंने आगे बताते हुए कहा की पिछले सरकार में नए भवन के लिए बजट पास हुआ था टेंडर भी हुआ और तहसील परिसर में ही नए भवन का निर्माण कार्य चालू हुआ मगर कुछ माह बाद ही अधूरे भवन निर्माण पर ही कार्य रुक गया तब से उसकी सुधि लेने वाला कोई नही है।


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