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फसलो में मौसम बदलाव होने पर कीट रोग बढने की रहती है संभावना

उरई। रबी में बोई गई दलहनी एवं तिलहनी फसलों में मौसम के बदलाव के कारण कीट/रोग के प्रकोप बढ़ने की संभावना है। कीट रोग सर्वेक्षण के समय चना में फली छेदक कीट एवं मटर की फसल में गोभ कीटों का प्रकोप देखा गया है इसके लिए क्लोरोपायरीफास 25 प्रति ईसी 2.5 लीटर प्रति, इण्डोक्साकार्ब 10 प्रति एसएल 400 से 500 मिली प्रति, मैलाथियान 50 प्रति ईसी 2 लीटर प्रति, डेल्टा मैथ्रिन 2.8 प्रति ईसी 350 मिली प्रति जो चना मटर की फसल के लिए एक रसायन का छिड़काव कराकर उपचार करा सकतें है। यह जानकारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमर सिंह ने दी है।


फोटोः - साभार


उन्होने बताया कि मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई/सरसों की फसल में मांहू कीट के प्रकोप होने की संभावना रहती है यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से अधिक हो तो एजाडिरैक्टिन व डाइनथोएट का प्रयोग करें। उक्त में कोई एक रसायन 5 से 6 सौ लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से कीट का निवारण किया जा सकता है। आगे बताया कि जनपद में कार्यरत कृषि रक्षा इकाईयों पर उक्त में से कुछ रसायने उपलब्ध है इनके अतिरिक्त जनपद के विकास खंडो में कार्यरत पंजीकृत निजी विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर रसायने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

किसान भाई अपने विकास खंड में स्थित कृषि रक्षा इकाईयों पर कार्यरत प्रभारियों से कीट रोग निवारणार्थ सलाह प्राप्त कर सकतें है और अधिक जानकारी के लिए जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकतें है तथा सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के अंतर्गत किसान कृषि रक्षा से संबधित समस्याओं का समाधान मो. 9452247111 एवं 9452257111 पर वाटसएप करके प्राप्त किया जा सकता है।


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