भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का महापर्व छठ की महत्वपूर्ण बाते
- नहाय-खाय के साथ शुरू छठ महापर्व की शुरुआत होती है।
- उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस व्रत का समापन होता है।
- चारों ओर छठ गीतों से माहौल गुंजायमान होता है।
- छठ की पारंपरिक लोकगीत बहुत ही पसंद किए जाते हैं।
छठ महापव क तारीख :
31 अटूबर – नहाय-खाय
1 नवंबर – खरना
2 नवंबर – सायंकालीन अर्घ्य
3 नवंबर –प्रातः कालीन अर्घ्य
31 अटूबर – नहाय-खाय
1 नवंबर – खरना
2 नवंबर – सायंकालीन अर्घ्य
3 नवंबर –प्रातः कालीन अर्घ्य
चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ 31 अक्तूबर से होगी। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दो नवंबर को दिया जाएगा। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से महापर्व की शुरुआत होगी और समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होगा। छठ व्रती स्नान करके शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं।
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit : फाइल )
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भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी एक नवंबर को व्रतधारी दिनभर का उपवास करने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे खरना कहा जाता है।
प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी दो नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। शाम को अर्घ्य का समय 5:15 बजे है। चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य का समय प्रात: 6:15 बजे है। इसके साथ व्रत का समापन होता है।
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