डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने तिरुतणी के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ाई की
शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विज्ञान भवन में राज्यों के शिक्षकों को सम्मानित किया
शिक्षा की गुणवत्ता, इनोवेशन समेत पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए देश के 46 शिक्षकों को आज नेशनल टीचर अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (गुरुवार) विज्ञान भवन में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के शिक्षकों को सम्मानित किया।
पहली बार सैनिक स्कूल के शिक्षक भी शामिल
पहली बार डिफेंस मिनिस्ट्री के अधीनस्थ सैनिक स्कूलों के शिक्षकों को भी शामिल किया गया है। इसमें सैनिक स्कूल अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के पीजीटी इंग्लिश के शिक्षक विजय कुमार पांडे और ऑटोमिक एनर्जी एजुकेशन सोसायटी अंडर डिपार्टमेंट ऑफ ऑटोमिक एनर्जी के ऑटोमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल मुंबई के पीजीटी शिक्षक डॉ. ए जुबिन जियोल को नेशनल टीचर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
तिरुतणी के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पहली पढ़ाई की
तिरुतणी के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल ये वह स्कूल हैं जहां देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पहली पढ़ाई की थी।आंगन में बरगद के एक पुराने पेड़ के चलते यह स्कूल आलमरम हायर सेकंडरी स्कूल के नाम से मशहूर था। तमिल में बरगद को आलमरम कहा जाता है। आज आंगन में बरगद नहीं, लेकिन उसका चबूतरा मौजूद है। चेन्नई से 50 किमी दूर बसे तिरुतणी गांव के इस स्कूल में राधाकृष्णन पांचवी तक पढ़े थे।
परिवार की तरफ से स्कॉलरशिप दी जाती है
गांव में ही उनका एक घर है जो अब लाइब्रेरी है। उनके परिवार वाले और रिश्तेदारों में से अब कोई भी यहां नहीं रहता। हां, उनकी पड़पोतियां हर साल उनके जन्मदिवस यानी शिक्षक दिवस 5 सितंबर को चेन्नई से यहां आती हैं। उनके परिवार की ओर से स्कूल के बच्चों को स्कॉलरशिप भी दी जाती है। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है। स्कूल की एक खास परंपरा ये भी है कि यहां हर दिन सुबह की प्रार्थना के पहले बच्चों को राधाकृष्णन से जुड़ा कोई किस्सा या कहानी सुनाई जाती है।
1954 में भारत रत्न सम्मान दिया गया
शिक्षा के सबसे बड़े पुरोधा रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वे 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किए गए थे। जब वे राष्ट्रपति बने, तब छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा। इस पर उन्होंने कहा- 'मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो शिक्षकों के लिए गर्व की बात होगी।' तभी से शिक्षक दिवस की परंपरा पड़ी। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे ऐसे शिक्षक रहे, जो देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने
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