भगवान विश्वकर्मा है प्रथम वास्तुकार -आचार्य पवन तिवारी-ज्योतिषाचार्य
17 को मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा
विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष कन्या संक्रांति को होती है। भगवान विश्वकर्मा का जन्म इसी दिन हुआ था इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती कहा जाता है। इस वर्ष भी विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का विधान है। दरअसल मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है।
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इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और मशीनों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा पूजा करने से खूब तरक्की होती है और कारोबार में मुनाफा होता है। यह पूजा विशेष तौर पर सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है। इस दिन अधिकतर कल-कारखाने बंद रहते हैं।
क्या है धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन काल की सभी राजधानियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। स्वर्ग लोक, सोने कि लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर भी विश्वकर्मा द्वारा ही रचित हैं।
क्या है धार्मिक महत्व
यह पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कलाकार, शिल्पकार और व्यापारी हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है। धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वालों के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी है।
विश्वकर्मा पूजा विधि
इस दिन भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को मंदिर में विराजित किया जाता है। भगवान विश्वकर्मा कि पूजा-अर्चना की जाती है। वैवाहिक जीवन वाले अपनी पत्नी के साथ पूजन करें। हाथ में फूल, चावल लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करे। पूजा में दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी का प्रयोग करें। अगले दिन प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है।
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