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पत्रकार रवीश कुमार ने कहा शुक्रिया..... मिला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

 12 वर्ष बाद भारतीय पत्रकार रवीश कुमार को मिला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड



खास बातें



  • पत्रकार रवीश कुमार को इस साल के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है।

  • रवीश कुमार ऐसे छठे पत्रकार हैं जिनको यह पुरस्कार मिला है।

  • आचार्य विनोबाभावे पहले भारतीय थे जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

  • मदर टेरेसा पहली भारतीय महिला थी जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


रवीश कुमार ऐसे छठे पत्रकार हैं जिनको यह पुरस्कार मिला है। इससे पहले अमिताभ चौधरी (1961), बीजी वर्गीज (1975), अरुण शौरी (1982), आरके लक्ष्मण (1984), पी. साईंनाथ (2007) को यह पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा यह पुरस्कार 40 भारतीयों को भी मिल चुका है। 


रेमन मैगसेसे पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जो फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे के याद में उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने शासन में ईमानदारी, लोगों के लिए साहसी सेवा और लोकतांत्रिक समाज के भीतर व्यावहारिक आदर्शवाद की मिसाल कायम की हो। यह पुरस्कार अप्रैल 1957 में फिलीपीन सरकार की सहमति से न्यूयॉर्क शहर स्थित रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के ट्रस्टियों द्वारा स्थापित किया गया था।


पत्रकार रवीश कुमार ने कहा शुक्रिया....


आज आपको शुक्रिया कहने का दिन है. आपका होना ही मेरा होना है. मेरे जैसों का होना है. आज आप दिन भर बधाइयां भेजते रहे. मेरा कंधा कम पड़ गया है. आप सभी अच्छे दर्शकों का शुक्रिया. आपके जैसा दर्शक होना, आज के समय में दुर्लभ होना है. आपने मेरे कार्यक्रमों को देखने के लिए कितना कुछ छोड़ा होगा. हिन्दू मुस्लिम डिबेट नहीं देखते होंगे, एंकर की खूंखार भाषा से दूर रहते होंगे. जब भी सूचना गायब हो जाएगी, सूचना लाने की पत्रकारिता समाप्त हो जाएगी, तब भाषा में हिंसा ही बचेगी. इसलिए आप देखते होंगे कि एंकर ललकार रहे हैं. वो पूछ नहीं रहे हैं, बल्कि पूछने वाले को ललकार रहे हैं. जो पूछता है वह अपना सब कुछ दांव पर लगाता है. वह सत्ता के सामने होता है. ऐसे में पत्रकारिता का काम है उसे सहारा दे ताकि वह और पूछ सके और पूछने पर नुकसान न हो. लेकिन हो रहा है उल्टा. पूछने वाले को देशद्रोही बताया जाता है. आप देखेंगे कि बहुत से लोग इस डर के कारण पूछने से बचते हैं. यह अच्छा नहीं है. सत्ता में भी हमारे ही लोग बैठे हैं. आप चाहें जो कह लें, आज जो चैनलों में हो रहा है वो पत्रकारिता नहीं है. इसलिए कहने का मन कर रहा है कि आपको कोई गिन नहीं सकता है. मुझे ज़ीरो टीआरपी वाला एंकर कह सकता है मगर आप एक दर्शक हैं और आप ज़ीरो नहीं हैं


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