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डॉ० अनिकेत त्रिपाठी-मौसम है मानसून का, खानपान में बरतें सावधानी.....लें संतुलित आहार

बारिश के मौसम में सेहत के प्रति जरा-सी लापरवाही परेशानी का कारण बन सकती है। इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में किन-किन बातों का रखें ख्याल...


गर्मी की तपन के बाद बरसात के मौसम की ठंडी फुहारें पड़ते ही मन खिल उठता है और गर्मागर्म चाय के साथ फ्राइड या जंक फूड खाने के लिए मचल जाता है। लेकिन सेहत के लिहाज से यह खुशनुमा मौसम थोड़ा नाजुक होता है। उमस भरे वातावरण में नमी का स्तर बहुत बढ़ जाता है और हवा में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया को जन्म देता है, जो हमारे पानी और खाने की चीजों में मिल कर उन्हें विषाक्त कर देते हैं। इनका सेवन करने से ये वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कई संक्रामक बीमारियों को न्यौता देते हैं। हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर नीचे चला जाता है, पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता  है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में केवल मुंह के स्वाद के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन की अनदेखी करना घातक होता है। इसलिए इस मौसम में संतुलित आहार और सावधानियों की खास जरूरत होती है।


लें संतुलित आहार
गेहूं, मक्का, जौ, बेसन जैसे साबुत सूखे अनाज और दालों को अपने भोजन में शामिल करना बेहतर है। प्रोटीन, लौह और मैगनीशियम युक्त इन खाद्य पदार्थों के सेवन से रोग- प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। इस मौसम में आसानी से मिलने वाले भुने भुट्टे के सेवन से पर्याप्त फाइबर मिलता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए वरदान है। आहार में सूखे मेवों को शामिल करना भी जरूरी है।


इस मौसम में मौसमी सब्जियों और फलों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं। हरी पत्तेदार सब्जियों के बजाय हल्की और सुपाच्य सब्जियां जैसे घीया, तौरई, टिंडा, भिंडी, फ्रैंच बीन्स का सेवन करने से बरसात के मौसम में पेट संबंधी बीमारियों के खतरे से बचा जा सकता है। करेला, मूली, मेथी जैसी कड़वी सब्जियां संक्रमण से बचाती हैं। भोजन में अदरक, लहसुन, पुदीना, धनिया, काली मिर्च, हल्दी, हींग, मेथी दानों का उपयोग पाचनशक्ति को बढ़ाने में फायदेमंद है। इस मौसम में सलाद नहीं खाना चाहिए, लेकिन एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर खीरे के सेवन से कब्ज, अपच जैसे पेट के संक्रमण में फायदा होता है।


हर्बल या ग्रीन चाय, कॉफी, वेजिटेबल सूप जैसे गर्म पेय का सेवन शरीर को ऊर्जा से भर देता है। ये बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस से बचाव करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।


भोजन में फ्राइड फूड के बजाय ग्रिल्ड और तंदूरी फूड को बढ़ाएं। ऑयल कम इस्तेमाल होने के कारण ये फूड आसानी से पच जाते हैं।


दूषित पानी में मौजूद बैक्टीरिया हमारे शरीर में पहुंच कर पाचन प्रणाली पर असर डालते हैं, जिससे तरल पदार्थ भी ठीक से पच नहीं पाता। इसलिए उबला हुआ पानी इस्तेमाल करना श्रेयस्कर है। वातावरण ठंडा होने के बावजूद अधिक पानी पिएं। इससे डिहाइड्रेशन और डायरिया जैसी बीमारियों से बचाव होगा और शरीर में उत्पन्न हुए विषाक्त पदार्थ को शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।


इस मौसम में पाचन क्रिया को सुचारु बनाए रखने के लिए गर्म दूध बेहतर आहार है।


जरूरी हैं ये सावधानियां
भोजन बनाते समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। औषधीय साबुन से अपने हाथ धोएं, ताकि किसी प्रकार के कीटाणु न रहें। हो सके तो फल और सब्जियों को गर्म पानी में धोकर इस्तेमाल करें।


इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि भूख लगे, तभी खाएं।


बारिश के मौसम में कच्चा भोजन खाने से बचना चाहिए। यहां तक कि सलाद भी नहीं खाना चाहिए।


हमेशा ताजे फलों का ही सेवन करें। मुरझाए हुए, दागी, कटे-फटे या ढीले फलों से बचें, क्योंकि ऐसे फल विषाक्त हो जाते हैं और आपकी पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।


तरबूज, खरबूजा जैसे जलीय फलों के सेवन से बचें। नम प्रकृति के होने के कारण इनमें बैक्टीरिया होने की आशंका अधिक होती है।


सफाई न होने की आशंका के कारण बाहर मिलने वाले फलों और सब्जियों के जूस के सेवन से बचें। इस मौसम में घर पर तैयार जूस का सेवन ही उचित है। इसमें भी यह ध्यान रखना होगा कि जूस तुरंत पी लिया जाए। 


एक बार में भरपेट भोजन करने के बजाय थोडे-थोड़े अंतराल पर फल या दूसरा लघु भोजन करें। इससे बारिश के मौसम में एक तो पाचन संबंधी समस्याओं से दूर रहेंगे, दूसरे आवश्यक पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति होगी।


ताजा और गर्म भोजन ही खाएं। अगर भोजन बच भी जाता है तो उसे एयरटाइट कंटेनर में बंद करके फ्रिज में रखना चाहिए। 24 घंटे से पहले बने भोजन को न खाएं। ऐसा भोजन खाने से आधा घंटा पहले उसे फ्रिज से निकालकर सामान्य ताप में लाएं और फिर उसे गर्म करें।


खाना बनाने में सरसों, मूंगफली और तिल जैसे भारी तेलों के बजाय मकई और ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। हैवी ऑयल पित्त बढने के अलावा शरीर को कमजोर बनाते हैं।


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